Please use this identifier to cite or link to this item: http://13.126.40.108:8080/xmlui/handle/123456789/718
Title: REPORT OF THEATRE WORKSHOP AND PERFORMANCE FOR PRE SERVICE TEACHER TRAINEES OF RIE, BHOPAL
Authors: Saurabh, Arunabh
Keywords: THEATRE WORKSHOP
PRE SERVICE TEACHER TRAINEES
Pedagogy Workshop
Theater Pedagogy
PAC 23.33
Issue Date: 2023
Publisher: Regional Institute of Education, Bhopal
Series/Report no.: 104;
Abstract: नाटक साहित्य का एक प्राचीनतम और लोकप्रिय विधा है। नाटक में कला के सभी रूप और विज्ञान का दृश्य-परिस्थिति विधा का संपूर्ण अनुपालन किया जाता है। इस विधा के साहित्य का तमाम विधाओं का समावेश है। नाटक को ध्यान में रखकर ही साहित्यशास्त्र के सभी सिद्धांत बने हुए हैं। नाटक शब्द की उत्पत्ति 'नट' धातु से हुई है, जिसका तात्पर्य है—अभिनय। संस्कृत साहित्य में इसे ‘नाटक’ नाम भी दिया गया है। नाटक का अर्थ है 'नट'। कार्य अनवीकरण में कुशल और संबंध रखने के कारण ही विधा में नाटक कहलाते हैं। वस्तुतः नाटक, साहित्य का वह विधा है, जिसकी सफलता का परीक्षण रंगमंच पर होता है। हालांकि रंगमंच युग विशेष के जनसंचार और तत्कालीन आर्थिक व्यवस्था पर निर्भर होता है, इसिलिए समय के साथ नाटक के रूप में भी परिवर्तन होता है।
URI: http://13.126.40.108:8080/xmlui/handle/123456789/718
Appears in Collections:PAC Reports

Files in This Item:
File Description SizeFormat 
PAC 23.33 (2022-23).pdfPAC 23.33 (2022-23)9.73 MBAdobe PDFView/Open


Items in DSpace are protected by copyright, with all rights reserved, unless otherwise indicated.